मैं इंसान से पत्थर हो जाना भी सीख़ रहा हूँ। मैं इंसान से पत्थर हो जाना भी सीख़ रहा हूँ।
खामोशी मेरी अगर तुम पढ़ लेते तो शायद मैं कभी खामोश ही ना होती ! खामोशी मेरी अगर तुम पढ़ लेते तो शायद मैं कभी खामोश ही ना होती !
खुली किताब अपने शब्दों से बांध लेती है पढ़ने वाले को। खुली किताब अपने शब्दों से बांध लेती है पढ़ने वाले को।
किताबें हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हुआ करती थी, अब वो हिस्सा छूटता जा रहा है। किताहें हमें नहीं ... किताबें हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हुआ करती थी, अब वो हिस्सा छूटता जा रहा है...
ये लंगोटधारी ये लंगोटधारी
लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा.. लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा..